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चूनावों का दौर अब निकल चुका है। जनता चुनाव में अपना फैसला दे चुकी है। अब राजनैतिक पार्टियों को चुनाव में अपने अपने किये हुए वादों को पूरा करने का समय आ गया है। सरकार के सामने हर क्षेत्र में विकास करने के लिए अब हर समय ततपर रहने की आवश्यकता है ।
भारत देश की जनसंख्या स्वा सो करोड़ से भी अधिक है लेकिन ये बड़े दुःख से कहना पडता है कि खेलों में भारत दूसरे देशों से बहुत पिछड़ा नज़र आता है। विश्व स्तर पर और ओलम्पिक खेलों में छोटे छोटे देशों का पृदर्शन भी भारत से कहीं बेहतर है। ऐसा क्यों हो रहा , कारण है कि भारत सरकार द्वारा अबतक निरन्तर खेलों के प्रति प्रयासों का आभाव।
पढ़ाई के साथ साथ अगर बच्चों में खेलों को भी उतना ही महत्व मिले तो इससे वह बच्चे जिनकी रूचि खेलों में अधिक होती है उन्हें उबरने का मौका मिल सकता है और वह अपने मन पसंद खेल के क्षेत्र में शिक्षित हो कर अपना,अपने राज्य का वा राष्ट्र का नाम रोशन कर सकते हैं।
बच्चों में खेलों के प्रति जागरूकता लाना बहुत ज़रूरी है और इसके लिए सरकार को चाहिए की सभी स्कूलों में पांचवी कक्षा तक खेलों को दूसरे विषयों की तरह ही एक स्थायी विषय की तरह ही रखा जाए और कक्षा में सभी विद्यार्थी दूसरे विषयों के साथ साथ खेलों में भो शिक्षा प्राप्त करें। ऐसा करने से फायदा यह होगा की एक तो बच्चों का मानसिक विकास होगा और वह तंदरूस्त रहेंगें और दूसरी और स्कूलों में खेल शिक्षक ये जान पाएंगे कि कौन कौन से बच्चों की रूचि अधिक खेलों के प्रति है और फिर किन किन बच्चों को खेल के क्षेत्र में प्रोत्साहित किया जा सकता है ताकि ऐसे बच्चों का खेल क्षेत्रों में चयन करके उनको खेलों में कड़ा प्रशिक्षण दिया जा सके। बच्चों को खेल में शिक्षा बच्पन में ही दी जाती है तो उस उम्र में बच्चों की सीखने की क्षमता बड़ों से कहीं बेहतर होती है और वह जल्दी सीख जाते हैं।
जब पांचवी कक्षा के बाद जिन बच्चों का चयन किसी खेल के लिए उनकी क्षमता के अनुसार किया जायेगा तो यह सब बच्चे दसवीं कक्षा तक प्रशिक्षण लेते लेते अच्छे खिलाड़ी बन चुके होंगे ओर इनके कोच इन सभी के मार्ग दर्शक बन कर इन सब को अपनी अपनी पहचान दिलाने में सहायक बन सकेंगे।
स्कूल अधयापकों को चाहिए की खेलों में चुने गए बच्चों पर अधिक पढ़ाई का बोझ न डालें और उनके खेल के समय का उचित उपयोग करें। बच्चों के माता पिता को भी चाहिए की वह ब्च्चों को जबर्दस्ती किताबी पढ़ाई करने पर मजबूर ना करें अपितु उनके अंदर छुपी हुई खेल प्रतिभा को पहचानें और उनको एक अच्छा खिलाड़ी बनने में अपना सहयोग देकर उनका मनोबल बढ़ाएं।
सरकार को चाहिए कि खेलों को बढ़ावा देने के वास्ते खेलों के लिए बजट में खास तौर पर रूचि दिखाएं। सकूलों मे खेल शिक्षकों की नियुक्ति मे बढ़ोतरी करें। खेल कोचों को भी चाहिए की वह प्रतिभाशाली खिलाड़ियों के साथ किसी भी तरह का पक्षपात न बरतें और किसीके दबाव में न आएं जिससे देश को अच्छे खिलाडी मिल सकें जो ना केवल अपना या अपने परिवार का, अपने प्रदेश का नाम ही रोशन करें बल्कि अपने देश का भी नाम रौशन कर सकें। खेलों में देश को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ऊंचा उठा सकें, ओलम्पिक्स में अधिक से अधिक तगमें ला सकें। बस ज़रूरत है तो सही समय पर बच्चों को सही दिशा देने की और ये तभी संभव है जब सरकार खेल क्षेत्र मे अधिक सहूलतें देने के कदम उठाये।
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बृज किशोर भाटिया
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