शहर के प्राईवेट स्कूलों और बुक सैलरों की मिलीभगत को लेकर प्रशासक व उनके सलाहकार को पत्र लिख कर अवगत कराया

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World Wisdom News

चण्डीगढ़

24 मार्च 2023

दिव्या आज़ाद

रेजिडेंट वेल्फेयर एसोसिएशन, सैक्टर 26 के प्रधान कृष्ण लाल, महासचिव जेपी चौधरी, आल मनीमाजरा वेल्फेयर एसोसिएशन के चेयरमैन रामेश्वर गिरी व प्रधान एसएस परवाना ने पंजाब के गवर्नर एवं चण्डीगढ़ के प्रशासक बनवारी लाल पुरोहित व प्रशासक के सलाहकार धर्मपाल को पत्र लिखकर शहर के प्राईवेट स्कूलों और बुक सैलरों की मिलीभगत को लेकर अभिभावकों को आ रही परेशानियों से अवगत कराया है। उन्होंने पत्र में लिखा है कि चण्डीगढ़ में प्राईवेट स्कूलों में प्री-नर्सरी कक्षा से लेकर 8 वी तक की कक्षा में हर साल किताबें बदल दी जाती हैं। ये सब बुक सैलर व प्राईवेट स्कूलों की वजह से हो रहा है जबकि सरकारी स्कूलों में यह नियम नहीं है। पहले यह होता था कि जो स्टुडेंट एक क्लास में पास होता था तो वह अपने से निचली क्लास में आने वाले बच्चों को अपनी किताबें दे देता था जिससे कई गरीब बच्चों को फ्री में किताबें मिल जाती थी और बच्चा पढाई कर लेता था। लेकिन अब हर साल की हर साल किताबें बदल दी जाती है।

प्राईवेट स्कूल वालों ने अपने-अपने बुक डीलरों से सांठगांठ कर रखी है और प्राईवेट स्कूल वाले उसी बुक डीलर से बुक लेने को मजबूर करते हैं और बुक डीलर किताबों के साथ कापियाँ, रजिस्टर और दूसरी स्टेशनरी का सामान भी खरीदने को मजबूर करते हैं जोकि बाजार से महंगी मिलती है। जो भी अभिभावक किताबों के साथ कापियाँ और स्टेशनरी का सामान नहीं लेता है तो बुक डीलर अभिभावकों को कई चक्कर लगवाते है और यह किताबें इन बुक डीलरों के अलावा कहीं और नहीं मिलती है तो अभिभावकों को मजबूरी में उसी बुक डीलर से महंगे रेट पर सामान खरीदना पड़ता है। यह सब बुक डीलर व प्राईवेट स्कूलों की वजह से हो रहा है। हमे पता चला है कि नगर प्रशासन ने स्कूलों को निर्देश दिए है कि प्राईवेट स्कूल वाले अपनी वेबसाइट पर बुक का नाम और बुक पब्लिशर का नाम अपलोड करेंगे ताकि अभिभावक कहीं से भी किताबें खरीद सके। फिर भी यह किताबें कहीं और नहीं मिलती हैं और वहीं से मिलती है जहाँ से स्कूलों का सम्पर्क होता है। पत्र में ये मांग भी की गई है कि सभी प्राईवेट स्कूलों की किताबें एक जैसी हों और सरकारी स्कूलों की किताबों की तरह सभी बुक डीलरों से आसानी से मिल सके। कम से कम 3 साल तक किसी भी किताब को बदला ना जाए जिससे अभिभावकों को राहत मिले और गरीब बच्चे पुरानी किताबें लेकर अपनी पढाई कर सकें।

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