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आज दुनिया में सब लोग मदर्स डे तो मना रहे हैं,
व्हाट्सएप ओर फेसबुक पर पैगाम भी दे रहे हैं।
बच्चों के लिए तो हर रोज़ मदर्स डे से शुरु होता है,
जवान या बूढ़ा होने पर भी वह मां का ही होता है।
मां ना होती तो हम ये संसार ना देख पाते,
मां और बच्चे के ये दिखावे के नही नाते।
मां बच्चों ओर बच्चे बस्ते हैं माताओं में,
ये चोली दामन के जैसा साथ कहलाते।
वो कौंन से पल है जब हम मां भूल पाते हैं,
हर सुख और दुःख में बस मां को बुलाते हैं।
मां है तो तसल्ली है, मर कर भी दिल में है।
मदर्स डे हर पल है,कुछ दिन क्यों मनाते हैं।
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बृज किशोर भाटिया
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