चंडीगढ़
22 मार्च 2017
दिव्या आज़ाद
पंजाब की नई सरकार को पंजाब के उन 600,000 लोगों की आवाज को सुनना चाहिए जिन्होंने 1984 के सिख नरसंहार के लिए इंसाफ प्राप्त करने के लिए एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के साथ हाथ मिलाया है। ये बात आज चंडीगढ़ प्रेस क्लब में हुए एक विचार-विमर्श के दौरान एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया ने कही।
फरवरी, 2015 में केन्द्र सरकार के गृह मंत्रालय ने एक विशेष जांच दल (सिट) को गठित किया ताकि नरसंहार से संबंधित मामलों की फिर से जांच की जा सके लेकिन ये जांच काफी धीमी चल रही है। फरवरी में इस जांच को फिर से तीसरा विस्तार दिया गया। अब इस जांच को अगस्त 2017 तक पूरा किए जाने का समय दिया गया है।
सिट ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि उसने दोबारा से जांच के लिए 59 मामलों की पहचान की है, जिनको दिल्ली पुलिस द्वारा नरसंहार के बाद बंद कर दिए गए 267 मामलों में से चुना गया है। इनमें से 38 मामलों को बंद कर दिया गया है और 4 मामलों में आरोपपत्र दाखिल किए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट गुरलाड सिंह काहलों द्वारा सिट की कार्यप्रणाली को लेकर दायर की गई जनहित याचिका की भी सुनवाई कर रहा है।
एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया ने इस अभियान, सिट की कार्यप्रणाली और नरसंहार के पीडि़तों और पीडि़त परिवारों के बचे हुए लोगों को इंसाफ प्रदान करने के लिए परिचर्चा का आयोजन किया।
इस मौके पर वरिष्ठ पत्रकार हरमिंदर कौर ने कहा कि ‘‘इस समय सरकार को एक नया कानून बनाना चाहिए ताकि किसी भी प्रकार की साम्प्रदायिक हिंसा के दौरान अपने कर्तव्य का पालन ना कर पाने वाले राजनेताओं, पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को ड्यूटी में कोताही के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सके।’’
सनम सुतिरथ वजीर, एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया ने कहा कि ‘‘सिट ने सालों से इंसाफ के लिए संघर्ष कर रहे लोगों को निराश किया है। इसने बीते दो सालों में सिर्फ चार आरोपपत्र ही दाखिल किए हैं। सिट की कार्यप्रणाली भी पारदर्शी नहीं है। सिट ने सुप्रीम कोर्ट में जिन स्ूेट्स रिपोर्ट्स को जमा करवाया है, उनमें ये तक नहीं बताया गया है कि आखिर जिन मामलों को दोबार जांच के लिए पहचाना गया था, उनको आखिर किस लिए फिर से बंद कर दिया गया।’’
नवंबर, 2014 में इस नरसंहार की 30वीं बरसी पर एक सार्वजनिक अभियान की शुरुआत की गई ताकि नरसंहार के पीडि़तों को इंसाफ मिल सके और जिम्मेदार लोगों को सजा मिल सके। तब से लेकर अब तक लाखों लोगों ने इस अभियान को समर्थन दिया है, जिनमें से 6 लाख पंजाब के पंजाब से भी है।
सनम सुतिरथ वजीर ने कहा कि ‘‘नरसंहार के दौरान जीवित बचे लोगों को उम्मीद है कि पंजाब में सत्ता संभालने वाली नई सरकार उनकी मांगों का समर्थन करेगी और दशकों से इंसाफ का इंतजार कर रहे लोगों की इंसाफ प्राप्त करने में मदद करेगी।’’
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