संजय टंडन से नजदीकी की वजह से धर्म संकट में पड़ सकतें हैं गोयल?
चण्डीगढ़
7 दिसंबर 2019
दिव्या आज़ाद
15 दिसंबर से पहले नगर भाजपा को लंबे अरसे बाद नया अध्यक्ष मिलने जा रहा है। नया अध्यक्ष चुनने के लिए भाजपा हाईकमान ने केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल को पर्यवेक्षक के तौर पर नियुक्त किया है। पीयूष गोयल के अगले सप्ताह चण्डीगढ़ आगमन की संभावना है। उनकी नियुक्ति पर भाजपा में अंदरखाते काफी सुगबुगाहट है, क्योंकि पीयूष गोयल व नगर भाजपा के वर्तमान अध्यक्ष संजय टंडन काफी पुराने साथी हैं व दोनों ही सीए हैं। इसके अलावा पीयूष गोयल जब भी चंडीगढ़ आते हैं तो संजय टंडन से मिलने उनके निवास पर जरूर जातें हैं। संजय टंडन से निजी दोस्ती की वजह से नया अध्यक्ष चुनते समय पीयूष गोयल के सामने धर्मसंकट की स्थिति पैदा हो सकती है क्योंकि उन्हें भाजपा के सभी गुटों को संतुष्ट रखना होगा।
पूर्व पार्षद व भाजयुमो के पूर्व स्थानीय प्रधान रहे फायरब्रांड नेता स. सतिंदर सिंह के लिए न केवल स्थानीय सांसद किरण खेर बल्कि आरएसएस ने भी जोर लगा रखा है। मजे की बात यह है कि आरएसएस का स्थानीय मुख्यालय व संजय टंडन का निवास दोनों ही सेक्टर 18 में है। इस प्रकार से सेक्टर 18 में स्थित दो-दो पावर सेंटर में रस्साकस्सी होनी तय लग रही है।
भाजपा के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक हालांकि पूर्व सांसद व भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं भारत सरकार के एडीशनल सॉलीसीटर जनरल सत्यपाल जैन ने देवेश मौदगिल का नाम आगे बढ़ाया हुआ है पंरतु देवेश के पिछडने पर वे भी सतिंदर सिंह के पक्ष में आ जाएंगे। उधर संजय टंडन खेमे ने राजकिशोर व चंद्रशेखर आदि के लिए जोर लगा रखा है। वे अपने तरकश के हर तीर को आजमाएंगे जरूर, ऐसी पार्टी हलकों में चर्चा है।
आने वाले दिनों में शहर को नया मेयर भी मिलना है जो इस बार महिला होगी। पीयूष गोयल भाजपा अध्यक्ष पद की दौड़ में पिछड़ने वाले खेमे को उसकी पसंद का मेयर पद देने का फार्मूला अपनाकर मैच को टाई करवा सकते हैं। तब संजय टंडन की ओर से आशा जसवाल या सुनीता धवन, सत्यपाल जैन की तरफ से फरमिला देवी व किरण खेर के खेमे से हीरा नेगी का नंबर लग सकता है। फिलहाल सबकी नजरें भाजपा के नए अध्यक्ष की घोषणा पर लगी हैं।
यहां यह उल्लेखनीय है कि संजय टंडन ने भाजपा अध्यक्ष के तौर पर देश भर में कीर्तिमान स्थापित करते हुए लगातार दस वर्ष तक यह पदभार संभाला व उनकी अगुवाई में भाजपा ने एक के बाद एक चुनाव जीते व शानदार सफलताएं हासिल कीं। इसके अलावा उन्होंने भाजपा का जनाधार भी खूब बढ़ाया व उनका कार्यकाल काफी हद तक निर्विवाद रहा व उनकी छवि भी साफ सुथरी रही जिससे उन्होंने भाजपा में कद्दावर नेता के तौर पर अपनी स्थिति बेहद मजबूत बना ली है। इसके अलावा केंद्र में भाजपा के सत्तारूढ़ होने की वजह से चण्डीगढ़ में पार्टी प्रधान का पद बेहद महत्वपूर्ण बन गया है। इसलिए कोई बड़ी बात नहीं कि ज्यादा पेंच फसने पर हाईकमान के अगले निर्देशों तक फिलहाल यथास्थिति बनी रहे यानी यही टीम काम करती रहे। वैसे भी राजनीति में कुछ भी ना तो स्थायी होता है और ना ही कुछ असंभव, ये जगजाहिर तथ्य है।
बहरहाल सबकी नज़रें पीयूष गोयल पर रहेंगी कि वे पुरानी दोस्ती व नए फर्ज के बीच कैसे संतुलन साधेंगे।