मनीमाजरा
21 अगस्त 2017
दिव्या आज़ाद
20 अगस्त 1948 को हिमाचल के नालागढ़ के गाँव में धोलोवाल में दसौंधी राम और बचनी देवी के घर एक बच्ची ने जन्म लिया तो घर में खुशियों की लहर दौड़ गई /ख़ुशी ख़ुशी में बच्ची का नामकरण हुए बच्ची का नाम धर्मी देवी रखा गया /उस वक्त शायद यह किसी को पता नहीं था कि धर्मी देवी का नाम आगे चल कर प्रख्यात होगा और वो उनका नाम समाज में बड़े मान सम्मान से जुड़ेगा। धर्मी देवी 18 अगस्त 2013 को ब्रह्मलीन हो गई और अपने पीछे दो पुत्र मनोज शर्मा और महेश कुमार शर्मा व दो पुत्रियां जीवन लता और शशि बाला छोड़ गए। धर्मी देवी का विवाह लोधी माजरा रोपड़ में दीं दयाल सपुत्र नंद लाल के साथ हुआ / उनका विवाह वर्ष 1968 में हुआ। विवाह के कुछ दिन बाद दीं दयाल को वर्ष 1973 में पोस्ट आफिस में सरकारी नौकरी मिल गई। इसके लिए वर्ष 1978 में वो मनीमाजरा आ गए। इसी बीच दीन दयाल की नौकरी भी पक्की हो गई। धर्मी देवी ने कभी भी अपना पत्नी धर्म नहीं छोड़ा। जब दीन दयाल जी बीमार पड़ गए तो धर्मी देवी ने उनकी सेवा में कोई कसर नहीं छोड़ी। दिनांक 30 जून 2011 को दीन दयाल अपना नश्वर शरीर त्याग कर अपनी सांसारिक यात्रा पूरी कर गए। इसके बाद धर्मी देवी ने अपने पति के रिश्तेदारों के प्रति अपनी पूरी जिम्मेवारी निभाई और उनके साथ साथ हर दुःख सुख में खड़ी रही। चलने फिरने में असमर्थ अपनी ननद की पूरी देखभाल और सेवा की। धर्मी देवी मनीमाजरा में रहते हुए समाज के लोगो के साथ दुःख सुख में बराबर सरीक होती रही। उनके चेहरे पर एक अलग से ही आध्यात्मिक प्रभाव थे जिनको देख कर हर कोई उनके सामने नमस्कार के लिए झुक जाता था। धर्मी देवी की पुत्री जीवन लता का विवाह जीरकपुर बलटाना के रहने वाले रामकरण से हुआ। जबकि दूसरी बेटी शशि बाला का विवाह भूषण गौतम कालका निवासी के साथ हुआ। धर्मी देवी के दोनोद दामाद भी पुरे आज्ञाकारी हैं /वो धर्मी देवी की हर आज्ञा को एक मां की आज्ञा समझकर मानते रहे और उनको पूरी जिंदगी मान सम्मान दिया। धर्मी देवी अपने बच्चो को भी जी कह कर संभोधित करती थी। मनीमाजरा में स्थित ठाकुर दुआरा मंदिर में धर्मी देवी रोजाना पूजा पाठ के लिए जाया करती और वहां पर प्रभु के गुणगान में अपना महत्वपूर्ण योगदान देती। यही वजह थी कि जब भी कोई इस मंदिर में अपना पूजा पाठ या धार्मिक आयोजन करवाता तो धर्मी देवी को जरूर बुलाया जाता। जानकारी देते हुए शारदा भाटिया ने बताया की महिला मण्डल द्वारा मनीमाजरा ठाकुरद्वारा मंदिर में उनकी याद में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया /इसमें काफी संख्या में लोगों ने भाग लिया /इस दौरान धर्मी देवी को याद करके लोगों की आँखों में आंसू छलक आए। लोगों को आज भी उनकी कमी बेहद खल रही है। कार्यक्रम के दौरान लोगों ने समाज के प्रति धर्मी देवी के योगदान और हर एक के लिए उनके दिल के प्यार की सराहना की । मनोज शर्मा ने बताया कि उनकी माता ना केवल उनको बल्कि उनके दोस्तों को भी अपने बेटे जैसा प्यार देती थी। धर्मी देवी के स स्नेह की वजह से मनोज और महेश के कुछ दोस्त हर रोज उनके घर आते और आशीर्वाद लेते रहे। उनका आशीर्वाद फलता भी बहुत था। हर किसी को दिल से आशीर्वाद देते रहे। समाज को आज भी धर्मी देवी की कमी महसूस होती है क्यूंकि ऐसी सख्सियत हर रोज जन्म नहीं लेती।