होंठ थरथरा रहे हैं जुबां से बयां करके
आंखें भी नम हुईं मंज़र को देख करके
माताएं पथराईं बेटों की लाशें देख करके
पाई शहादत मां की कोख को धन्य करके
आतंकवाद को घाटी में फैलाने वालों
गद्दारी देश से करो दुश्मन के दलालों
भारत में पाक के झंडे फहराने वालों
सैनिकों पर तुम पत्थर बरसाने वालो
पुलवामा में 40 सैनिकों के हत्यारों
शर्म ना लज्जा तुम्हें देश के गद्दारों
बहुत कर चुके तुम भूखे भेड़ियों
संहार होगा अब तुम्हारा भेड़ियों
पुलवामा के नरसंहार का हिसाब होगा
देश के गद्दारों का अब लिहाज ना होगा
लूटा है देश तुमने उसका हिसाब होगा
देश वासियों का अब तुम पे कहर होगा
कितनी सुहागनों को तुमने विधवा बनाया
कितनी माताओं की कोख को सुना कराया
कितने बच्चों को तुमने है अनाथ बनाया
कितनी बहनों के भाईयों को है मरवाया
दुश्मन ओर गद्दारों का अब सफाया है होना
उजड़ी कोखों/अनाथों का हिसाब है होंना
देश एक जुट है तो अब विलम्ब क्यूं होना
निष्चित है दुश्मन का अब अंत है होना
हर दिल मे जली है बदले की चिंगारी
ना बुझेगी, पाक को राख करे चिंगारी
शहादत वीर सैनिकों की व्यर्थ ना होगी
हर दिल में ज्योत उनकी प्रज्वलत होगी
जय हिंद।
–बृज किशोर भाटिया,चंडीगढ़