दुनिया के बदलते तेवर देख
मौसम मिज़ाज़ बदलने लगा
भीषण गर्मी के बढ़ते पारे से
चेहरे से पसीना टपकने लगा
ग्लोबल वार्मिंग के कारण
पीने का पानी घटने लगा
सूखे तालाबों के कारण
पशु/पक्षी भी मरने लगा
जब करें प्रकृति से छेड़छाड़
परिणाम हमें भुगतना होगा
जंगलों पर प्रहार करेंगे हम
पानी के लिए तरसना होगा
पूजा स्थलों में जाकर हम
जल को व्यर्थ नही बहाएंगे
आस्था भी रंग ले आएगी
जब पानी को हम बचाएंगे
एक दूसरे को दोष देते रहेंगे तो
पानी की समस्या टल न पाएगी
हर कोई अगर अपना दे सहयोग
पानी की समस्या निबट जाएगी।
–बृज किशोर भाटिया,चंडीगढ़।