पंचकूला

8 जुलाई 2023

दिव्या आज़ाद

कला और साहित्य की अखिल भारतीय संस्था संस्कार भारती की पंचकुला इकाई ने अपने छः वार्षिक उत्सवों में से एक, ’गुरु पूजन उत्सव’ के अवसर पर पूर्व प्राचार्य एवं डिप्टी डायरेक्टर, हरियाणा शिक्षा विभाग’ व संगीत के अति अनुभवी ’कला गुरु प्रो० मुरलीधर सोनी’ को ‘कला विभूति सम्मान’ देकर सम्मानित किया। यह सम्मान प्रो० मुरलीधर सोनी को शास्त्रीय संगीत जगत में उत्कृष्ट प्रदर्शन के फलस्वरूप संस्कार भारती, पंचकुला द्वारा दिया गया। कार्यक्रम का आयोजन शनिवार को ’गीता मंदिर, सेक्टर-11, पंचकूला’ में किया गया ।
इससे पहले गुरु-शिष्य परम्परा को साकार करते हुए श्री मुरलीधर जी के अनेकों अलग-अलग स्तर के शिष्यों ने अपने गुरु के समक्ष अपनी सांगीतिक प्रस्तुती देकर उनको अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए। सभी शिष्यों ने अपने गुरु के समक्ष नतमस्तक होकर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया तथा संस्था के सभी कार्यकर्ताओं ने श्री मुरलीधर जी को श्रीफल, शाल और सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि के तौर पर संस्कार भारती, पंचकूला के माननीय संरक्षक विजय बागड़ी उपस्थित रहे। उन्होंने अपने संबोधन में गुरु पूर्णिमा उत्सव के महत्व के बारे बताया। कुसुम गुप्ता, कैलाश मित्तल, (डॉ) अरविंद शर्मा ( संगीतज्ञ), जो संस्कार भारती, पंचकूला के आदरणीय संरक्षक भी हैं, उन सब ने भी शिरकत की। अरविन्द, पंजाब विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त संगीत विभागाध्यक्ष ने इस अवसर पर कहा कि भारतीय संस्कृति में गुरु का अतुलनीय स्थान है और उनकी महिमा देवों ने भी गाई है। सभी देवों, महापुरुषों, राजा-महाराजाओं के गुरु होते थे जिनके निर्देशन पर ही काम-काज होता था। कलाकार भी उसी प्रकार गुरू का सम्मान करते हैं क्योंकि वह अपने शिष्यों को अपनी विधा में पारंगत करता है। इस दौरान उनके साथ संस्कार भारती, उत्तर क्षेत्र प्रमुख नवीन शर्मा तथा पंचकुला इकाई के अध्यक्ष सुरेश गोयल, मंत्री सतीश अवस्थी, कोषाध्यक्ष अनिल गोयल, सह मंत्री मयंक बिंदल, उपाध्यक्ष वेद प्रकाश गोयल उपस्थित रहे। कार्यक्रम में मात्रशक्ति संयोजिका पूनम गोयल, सहमात्रशक्ति संयोजिका अनुपम अग्रवाल व दीप्ति बिंदल, सह-प्रचार प्रसार प्रमुख तरुण श्याम बजाज, व्यवस्था प्रमुख दीपक गोयल तथा सह व्यवस्था के लिए जोगिंदर अग्रवाल व नरेश चौधरी भी उपस्थित थे।

कार्यक्रम की शुरुआत गुरु वंदना से की गई। जिसके पश्चात् कला गुरु प्रो० (डॉ०) मुरलीधर सोनी के सम्मान में उनके 45 शिष्यों द्वारा मनमोहक सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति दी गई। संगीत विद्यार्थियों ने अपनी प्रस्तुति में गुरु गरिमा गायन, चैतन्य सर्वभूतानां, शब्द गायन व अन्य गायन बखूबी प्रस्तुत किया।

कला गुरु प्रो० (डॉ०) मुरलीधर सोनी के बारे में संस्कार भारती पंचकूला के अध्यक्ष सुरेश गोयल व मंत्री सतीश अवस्थी ने बताया कि सादगी से भरे हुए मुरलीधर सोनी जी का जन्म खरगूपुर, जिला गोंडा, उत्तर प्रदेश में हुआ। बचपन में ही 5-6 साल की उम्र उनकी आंखों की रोशनी चली गई थी। उन्होंने बचपन की शिक्षा, कक्षा 4 तक अज्जरा धाम, अंध विद्यालय महिला आश्रम, सप्त सरोवर हरिद्वार में प्रारंभिक संगीत की शिक्षा राम मेहर दहिया से प्राप्त की और तत्पश्चात मिडिल स्कूल तक की पढ़ाई फिरोजपुर से की और यहां पर संगीत की शिक्षा मेहर चंद अधाना से ग्रहण की। उन्होंने एम० फिल० की शिक्षा स्व० पंडित (प्रो०) यशपाल जी और प्रोफेसर शीतल के अधीन की। 1995 में वो गवर्नमेंट कॉलेज, नारायणगढ़ में सहायक प्रोफेसर, संगीत तथा 2004 से 2007 तक डेपुटेशन पर गवर्नमेंट कॉलेज गर्ल्स सेक्टर 11, चंडीगढ़ में रहे। 2007 में एसोसिएट प्रोफेसर बने। 31 अक्टूबर 2022 में रिटायरमेंट के बाद भी इनकी संगीत यात्रा जारी है। कई टीचर, प्रोफेसर, आला अफसर बतौर स्टूडेंट उनसे सीखने आते हैं।

उत्तर क्षेत्र प्रमुख नवीन शर्मा ने अपने सम्भाषण में गुरु-शिष्य परम्परा का उल्लेख किया और प्राचीन काल से चली आ रही इस मूल्यवान सांस्कृतिक थाती के बारे में विस्तार से बताया। विशेष रूप से उन्होंने कलाक्षेत्र में विकसित इस ऐतिहासिक परम्परा की जानकारी दी। सभी कला विधाओं में गुरुओं के योगदान के महत्व को बताते हुए संगीत घरानों, नाट्य मंडलियों, चित्रकला अकादमियों, साहित्य कार्यशालाओं, लोककला के कला साधकों द्वारा नए कलाकार तैयार करना आदि के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि भगवान शिव आद्य गुरू हैं क्योंकि सभी कला-विधाओं का प्रकटीकरण भगवान शिव से हुआ है। इसलिये कलागुरू को उनके जैसा रचनात्मक, सकारात्मक आचार-व्यवहार रखना आवश्यक है।

कार्यक्रम का समापन अनहद गाबा द्वारा वंदे मातरम् गायन द्वारा किया गया।

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