इस बार चतुर्मास पूरे पांच मास का हो गया। लीप वर्ष के कारण अधिक मास दो मास का हो गया। जहां श्राद्ध समाप्ति के अगले दिन नवरात्र आरंभ हो जाते थे , इस बार लगभग एक मास के अंतराल के बाद होंगे।  हालांकि यह 160 साल बाद ऐसा हो रहा है यानी 2020 में सब कुछ बदला बदला। मदन गुप्ता सपाटू, ज्योतिर्विद् बताने जा रहे हैं श्राद्ध के बारे में। 

इस वर्ष श्राद्ध 1 सितंबर से शुरू होंगे और 17 सितंबर को समाप्त होंगे। इसके अगले दिन 18 सितंबर से अधिकमास शुरू हो जाएगा, जो 16 अक्टूबर तक चलेगा। वहीं नवरात्रि का पावन पर्व 17 अक्टूबर से शुरू होगा और 25 अक्टूबर को समाप्त होगा। वहीं चतुर्मास देवउठनी के दिन 25 नवंबर को समाप्त होंगे।

पूर्वजों की आत्मा की शांति और उनके तर्पण के निमित्त श्राद्ध किया जाता है। यहां श्राद्ध का अर्थ श्रद्धा पूर्वक अपने पितरों के प्रति सम्मान प्रगट करने से है। श्राद्ध पक्ष अपने पूर्वजों को जो इस धरती पर नहीं है एक विशेष समय में 15 दिनों की अवधि तक सम्मान दिया जाता है, इस अवधि को पितृ पक्ष अर्थात श्राद्ध पक्ष कहते हैं। हिंदू धर्म में श्राद्ध का विशेष महत्व होता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार जब सूर्य का प्रवेश कन्या राशि में होता है तो, उसी दौरान पितृ पक्ष मनाया जाता है।  पितरों की आत्मा की शांति के लिए पितृ पक्ष में तर्पण और पिंडदान को सर्वोत्तम माना गया है।

यह पहली बार ही ऐसा होगा कि पितृ पक्ष में , इन दिनों तर्पण कराने के लिए कर्मकांडी उपलब्ध न हों , भोजन ग्रहण करने के लिए के लिए बहुत कम ब्राहम्ण हामी भरें और श्राद्ध कर्म में अपने नजदीकी संबंधी तक सम्मिलित न हों। हिंदू धर्म सदा से ही समय, स्थान व स्थिति अनुसार ढाल लेता है, इसलिए सनातन कहलाता है।

यह श्राद्ध किसी सार्वजनिक प्रदर्शन की बजाय व्यक्तिगत या पारिवारिक दृष्टि से उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का पखवाड़ा है। आप इस श्राद्ध कर्म को अत्यंत सादगी से अपने घर में स्वयं भी कर सकते हैं।

आप स्वयं भी कर सकते हैं। घर में किए गए श्राद्ध का पुण्य तीर्थ-स्थल पर किए गए श्राद्ध से आठ गुना अधिक मिलता है।
जिस तिथि को किसी पूर्वज का निधन हुआ हो पितृ पक्ष में उसी तिथि को सूर्योदय से लेकर 12.24 के मध्य श्राद्ध करें।इससे पूर्व किसी सुयोग्य कर्मकांडी से तर्पण करा लिया जाए। सात्वित्क भोजन ही स्वयंकिया जाए। यदि किसी कारण ब्राहम्ण या कर्मकांडी उपलब्ध न हों तो आप स्वयं किसी नदी या तीर्थ स्थल या उचित स्थान घर पर भगवान सूर्य को ही पंडित मानकर  पितरों के मोक्ष के लिए पिंडदान करें ।

श्राद्ध सारिणी:

1 सितंबर– महालय पूर्णिमा का श्राद्ध
2 सितंबर– पितृ पक्ष श्राद्ध आरंभ- पूर्णिमा-बुधवार .  नाना-नानी का श्राद्ध
3 सितंबर– प्रतिपदा का श्राद्ध
4 सितंबर– द्वितीया  का श्राद्ध
5 सितंबर– तृतीया का श्राद्ध
6 सितंबर– चतुर्थी का श्राद्ध
7 सितंबर– पंचमी का श्राद्ध जो अविवाहित अवस्था में परलोक गए हों।
8 सितंबर-षष्ठी का श्राद्ध
9 सितंबर– सप्तमी का श्राद्ध
10 सितंबर– अष्टमी का श्राद्ध
11 सितंबर– नवमी का श्राद्ध सौभाग्यवती का श्राद्ध।
12 सितंबर-दशमी का श्राद्ध
13 सितंबर-एकादशी का श्राद्ध
14 सितंबर-द्वादशी का श्राद्ध- सन्यासियों का श्राद्ध,
15 सितंबर-त्रयोदशी का श्राद्ध
16 सितंबर-चतुर्दशी का श्राद्ध -शस्त्र,विष,दुर्घटना आदि से मृतकों का श्राद्ध
17 सितंबर-सर्वपितृ श्राद्ध ,-असमय व अज्ञात तिथि वाले  मृतकों का श्राद्ध,पितृ विसर्जन

कैसे करें श्राद्ध ?
▪️सुबह उठकर स्नान कर देव स्थान व पितृ स्थान को गंगाजल से पवित्र करें। महिलाएं शुद्ध होकर पितरों के लिए भोजन बनाएं।

▪️सामग्री -सर्प-सर्पिनी का जोड़ा,चावल,काले तिल,सफेद वस्त्र,11 सुपारी,दूध,जल,माला.-दिवंगत पूर्वजों की फोटो।

▪️पूर्व या दक्षिण की ओर मुंह करके बैठें.सफेद कपड़े पर सामग्री रखें.108 बार माला से जाप करें या सुख शांति,समद्धि प्रदान करने तथा संकट दूर करने  की क्षमा याचना सहित पितरों से प्रार्थना करें। हाथ में जौ, तिल, चावल लेकर जल के साथ पितृ आत्माओं का नाम लेकर भगवान सूर्य को अर्पित करें । जल में तिल डाल के 7 या 11 बार अंजलि दें.। दीप जला कर अक्षत ,पुष्प, मिष्ठान भी चढ़ाएं। पितरों के नाम का एक एक नारियल चढ़ाएं।

यदि परिवार में पुरुष नहीं हैं तो महिलाएं भी पिंडदान कर सकती हैं।शेष सामग्री को पोटली में बांध के प्रवाहित कर दें. गाय, कुत्ता,कौआ व अतिथि के लिए भोजन से चार ग्रास निकालें। हलुवा,खीर,भोजन,ब्राहमण,निर्धन,गाय, कुत्ते,पक्षी को दें
पूर्वजों की स्मृति में श्राद्ध पक्ष में क्या करें दान ?

दान का स्वरुप

कोरोना काल में दान का स्वरुप बदल गया है। वैसे तो शास्त्रों में सुपात्र ब्राहम्ण ही दान का हकदार है परंतु आज यह वर्ग भी लगभग साधन संपन्न है, और उनकी आर्थिक स्थिति तथा उनकी आवश्यकतानुसार  अनुसार ही दान करें ।

आज स्वास्थ्य या चिकित्सा संबंधी दानों का महत्व और बढ़ गया है। आप पितरों की याद में इन चीजों का दान भी कर सकते हैं। मास्क, ग्लव्ज, दस्ताने, आक्सी मीटर, पी पी ई किट, थर्मल स्कैनर, दवाएं, सेनेटाइजर, साबुन, नैपकिन, सैनिटरी नैपकिन, औषधीय पौधे, खाद्य सामग्री या किसी निर्धन की आवश्यकतानुसार सहायता।


मदन गुप्ता सपाटू

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