चंडीगढ़

23 सितंबर 2017

दिव्या आज़ाद

नेशनल इंडिपेंडेंट स्कूल्स एलायन्स का गठन 2011 में हुआ था। यह संगठन, स्कूल के संगठनों का महा- संगठन है। इसका कार्यालय दिल्ली में स्थित है। इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा ने डॉ. विनोद कुमार से संगठन द्वारा किए जा रहे कार्यक्रमों पर चंडीगढ़ में विशेष चर्चा की। उन्होंने बताया कि राइट टू एजुकेशन आने के बाद बजट स्कूल बंद होने लगे हैं। सोचा था कि अधिक स्कूल खुलेंगे, शिक्षा से वंचित बच्चों को समान रुप से शिक्षा का अधिकार मिलेगा। परंतु यह सब इसके विपरीत हो रहा है। प्राइवेट स्कूल राइट टू एजुकेशन की वजह से बंद होने लगे हैं।  नीसा यानि नेशनल इंडिपेंडेंट स्कूल्स एलायन्स ने  बंद हो रहे स्कूलों के प्रबंधकों से संपर्क किया और उनको आ रही समस्याओं के बारे में जाना। अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा ने बताया कि उनका संगठन 22 राज्यों के 26 स्कूल संगठनों से प्रदेश लेवल पर जुड़ा हुआ है।  इनमें 55 से 60 हजार स्टूडेंट्स शिक्षा प्राप्त कर रहें हैं । शेष राज्यों के संगठनों से संपर्क जारी है। इसे देश के कोने-कोने का संगठन बनाने का पुरजोर प्रयास किया जा रहा है। कुलभूषण शर्मा ने बताया कि  स्कूलों पर 2011 से ईपीएफ  थोंपा जा  रहा था परंतु उनके संगठन और तेलंगाना संगठन के साथियों ने मिलकर लघु स्कूलों में इसे 2017 से लागू करवाया। अब तक अधिकतर स्कूल एनरोल हो चुके हैं। शिक्षा के क्षेत्र में छोटे स्कूल अपनी आ रही दिक्कतों को केंद्र सरकार तक पहुँचाने में असमर्थ होते हैं।  नेशनल इंडिपेंडेंट स्कूल एलायन्स से मिलकर उनकी समस्या को संबधित अधिकारी तक पहुँचाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि छोटे स्कूलों को आ रही समस्याओं को सुब्रमण्यम कमेटी के समक्ष रखा गया और इस तरह एचआरडी  सेक्रेटरी को उनकी समस्या से अवगत करवाया है। अभी हाल ही में अप्रशिक्षित टीचर्स के लिए एचआरडी द्वारा नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग से  डीएलएड प्रवेश की तिथि को बढ़ाया गया। क्योंकि सर्वर डाउन होने के कारण कई स्कूलों को इसके प्रवेश प्रक्रिया में गुजरने में मुश्किल आ रही थी।
शर्मा ने कहा कि देश के बच्चों, अध्यापकों और प्रबंधकों के हक में उनकी लड़ाई जारी है। क्वालिटी ऑफ एजुकेशन सबका अधिकार है।  इसलिए स्टूडेंट को स्कूल को चुनने का अधिकार होना चाहिए।  डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के माध्यम से सरकारी स्कूलों में 3000 से ₹5000 के बीच में एक बच्चे पर किये जाने वाले खर्च को बच्चे के खाते में जमा करवाना जाना चाहिए जिससे वह अपने पसंद का स्कूल निर्धारित कर सके। बच्चों को खुद स्कूल चुनने का अधिकार होना आवश्यक है। कुलभूषण शर्मा ने बताया कि स्कूलों पर ऐसे नियम न लगाएं जाएँ जिससे  खुलने की बजाय बंद हो जाएँ।
आज सरकारी स्कूलों में सेफ्टी, पोलूशन, स्टाफ,  ट्रांसपोर्टेशन और अन्य इंफ्रास्ट्रक्टर आदि का अभाव है। पिछले कुछ वर्षों से देखा जा रहा है कि सरकार द्वारा प्राइवेट स्कूलों पर अपनी मनमानी की जा रही है। वह उन पर नियमों को लागू करवाने में तो कोई कसर नहीं छोेड़ती परंतु जब सरकारी स्कूलों की बात आती है तो वे पीछे हट जाते हैं।
उन्होंने कहा कि सरकारी और निजी स्कूलों पर समान रूप से व्यवहार किया जाना चाहिए।  स्कूलों को मिलने वाली जमीन रियायती दर पर होनी चाहिए। क्योंकि निविदा से जमीन की बोली अधिक हो जाती है। जिससे  बच्चों की फीस पर बोझ बढ़ता है। सरकार टेंडर के द्वारा एजुकेशन को मंगा कर रही है। ऑक्शन से ली गई लैंड लेने के उपरांत फीस बढ़ाना स्कूल प्रबंधन की मजबूरी है। ऐसा न करने पर  गुड क्वालिटी एजुकेशन देना संभव नहीं होगा।  कुलभूषण शर्मा ने बताया कि साइंस लैब की आइटम्स  पर 28 प्रतिशत से जीएसटी लागू किया गया है, इस तरह स्टेशनरी तथा अन्य सामानों पर भी जीएसटी लगाया गया है। सीएलयू के नाम पर करोड़ो रुपये वसूले जाते हैं।
सीबीएसइ  द्वारा 3 साल के बाद दोबारा एफिलेशन अप्लाई करने से स्कूलों पर आर्थिक बोझ बढ़ जाता है। नियमों को अधिक सख्त करने  से भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है। उन्होंने कहा कि निजी स्कूलों में सीसीटीवी कैमरे, गेट पर गार्ड और बाथरूम के सामने लेडी कर्मी को बैठाना, शिक्षक एवं  स्कूल में अन्य कार्यरत  महिला कर्मचारियों की वेरिफिकेशन करवाना कहां तक उचित है। उन्होंने कहा कि स्कूल में काम करने के लिए लगाए गए मजदूरों की वेरिफिकेशन करवाने पर भी बाध्य किया जा रहा है।  शर्मा ने कहा कि क्यों ना पूरे भारत वासियों की एक बार वेरिफिकेशन करवा ली जाए ताकि उन्हें बार-बार इन समस्याओं से ना गुजरना पड़े।  स्कूल में साइकोमेट्रिक टेस्ट करवाने की बात की जा रही है। शिक्षकों को शक की निगाह से देखा जा रहा है।  हरियाणा में ढाई लाख महिलाएं भिन्न-भिन्न स्कूलों में कार्य कर रही हैं।  उनकी वेरिफिकेशन  करवाना अनिवार्य किया जा रहा है। कुलभूषण शर्मा ने बताया कि इन ढाई लाख महिलाओं के लिए क्या उचित महिला पुलिसकर्मी उपलब्ध है? स्कूलों से महिलाएं थानों में जाकर अपनी वेरिफिकेशन करवाएं, तो यह क्या महिला का सम्मान है? उन्होंने कहा कि  यही नहीं  कर्मचारी को अपने पड़ोस के दो लोगों को भी साथ ले जाना अनिवार्य किया गया है। यदि स्कूल की अध्यापिकाएं थाने में जाकर वेरिफिकेशन करवाएंगी तो स्कूल में स्टूडेंट्स को कौन पढ़ाएगा? ऐसा करके महिलाओं के सम्मान की बात और बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ  पर कहाँ तक अमल किया जा रहा है? उन्होंने बसों में महिला अटेंडेंट की अनिवार्यता के बारे में कहा कि महिला बस ड्राइवर के साथ सुबह 6:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक कैसे कार्य करेगी।  जब वह ड्राइवर के साथ अकेले बच्चों को लेने जाएगी या बच्चों को छोड़कर आएंगी तो क्या उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार लेती है? उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूलों की बजाए प्राइवेट स्कूलों में अधिक सुविधाएं उपलब्ध हैं। सरकारी स्कूलों के पास अब भी उचित बिल्डिंग, फायर सेफ्टी,  ट्रांसपोर्टेशन आदि सुविधाएँ उपलब्ध  नहीं हैं। जबकि निजी स्कूलों में ऐसा नहीं है। उन्होंने कहा कि यदि कोई घटना घटती है तो प्रबंधन को जिम्मेवार ठहराना कहां तक उचित है? उन्होंने कहा कि किसी भी स्कूल में कोई भी अप्रिय घटना नहीं घटनी चाहिए। हाँ, यदि किसी स्कूल में कोई अनहोनी घटना होती है तो उन पर  नियम समान रूप से लागू होने जरूरी हैं। कार्यवाही प्राइवेट और सरकारी स्कूलों में निष्पक्ष तौर पर होनी चाहिये।  जिस तरह प्राइवेट स्कूलों के प्रबंधन पर उचित कारवाई करने का नियम  बनाया है उसी तरह सरकारी स्कूलों में जिला शिक्षा अधिकारी, डायरेक्टर और शिक्षा मंत्री पर भी कार्यवाही होनी चाहिए। उन्होंने हाल ही में पंजाब के तलवंडी जिले में  स्कूल के हॉस्टल में लड़की की मौत पर दुख व्यक्त किया और कहा कि इसके लिए सरकारी तंत्र को भी जिम्मेदार ठहराया जाना आवश्यक है। पंचकूला के सरकारी स्कूल में एक बच्चे को बंद करने की घटना पर भी विचार व्यक्त करते हुए कहा कि इन स्कूलों में वीडियो कैमरे तक काम नहीं कर रहे हैं। आखिर सरकारी स्कूलों में संबंधित अधिकारियों पर क्यों कार्यवाही नहीं की जा रही? क्या सिर्फ नियम प्राइवेट स्कूलों के लिए बने हैं? उन्होंने खेद व्यक्त करते हुए कहा कि यदि किसी भी जगह खामी पाई जाती है तो उस पर बिना पक्षपात किए कार्रवाई होनी चाहिए। शर्मा ने मांग करते हुए कहा कि इसके लिए एक निष्पक्ष आयोग गठित किये जाने की आवश्यकता है। जो प्राइवेट और सरकारी स्कूलों के भेदभाव से ऊपर हो।  ऐसा करने से  उल्लंघना करने वालों पर समान रूप से कार्रवाई हो  सकेगी। उन्होंने कहा कि आज प्राइवेट स्कूलों के प्रबंधकों में भय का वातावरण पैदा हो रहा है। स्कूल में आने वाला हर बच्चा स्कूल को प्रिय होता है। उन्होंने कहा कि जिस तरह का माहौल सरकार द्वारा पैदा किया जा रहा है वह कतई भी अनुचित नहीं है
उन्होंने  बताया कि उनके संगठन का उद्देश्य देश में शिक्षा का प्रचार और प्रसार करना है ताकि अधिक से अधिक स्कूल खुलकर अनपढ़ता को दूर किया जा सके।  सबको अपने अधिकारों और कर्तव्यों से भली भांति अवगत होना आवश्यक है।

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