चण्डीगढ़
24 चंडीगढ़ 2020
दिव्या आज़ाद
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बार बार दिल में उठने वाले दर्द को हार्ट अटैक समझकर चार साल से इधर उधर डाक्टरों के पास घूमने के बाद भी 91 साल की दलजीत कौर की बीमारी का सही पता नहीं लग पा रहा था। डाक्टर इस बात को कंफ़र्म नहीं कर पा रहे थे की दलजीत कौर को क्या दिल की बीमारी के लिए सर्जरी कराने की ज़रूरत थी?
आमतौर पर ऐसे मामलों में एंजियोग्राफ़ी करके दिल की धमनियों में रुकावट का पता लगा लिया जाता है और ज़रूरत के हिसाब से एंजियोप्लास्टी या स्टेंट दाल कर इलाज कर दिया जाता है, लेकिन इस केस में मरीज़ की उमर एक बड़ा फ़ैक्टर थी। पेट दर्द, छाती में दर्द, गाल ब्लेडर में स्टोन होने जैसे कई फेक्टर थे जिनके चलते मरीज़ की सर्जरी करना लगभग नमुमकिन हो रहा था। उस से पहले मुश्किल ये थी कि
पक्के तौर पर यह डायग्नोस कर पाना कि क्या बीमारी जानलेवा हालत में आ चुकी थी?
ऐसे जटिल मामलों में स्ट्रेस थैलेमिन तकनीक काम आती है जिसमें गामा कैमरा महत्वपूर्ण उपकरण है। इस तकनीक से पहली बार इतने उमर की मरीज़ का इलाज करने वाले ग्रेशियन अस्पताल के हृदय रोग विशेषज्ञ डाक्टर जे. एस. सभरवाल ने बताया कि यह एक विशेष स्थिति थी जिसमें मरीज़ टीएमटी जैसे टेस्ट करने की हालत में नहीं थी। दिल और अन्य बीमारियों के अलावा उन्हें घुटनों का भी दर्द था जिसके चलते मरीज़ टीएमटी जाँच के लिए चल नहीं सकती थी।
टेक्निकल तौर पर छाती में दर्द होने पर ईसीजी की रिपोर्ट भी हार्ट अटैक कंफ़र्म नहीं कर सकती। यह डाक्टर के क्लिनिकल एक्सपीरेंस पर निर्भर करता है। इसके बाद अगली जाँच की जाती हैं। कई बार हार्ट अटैक आने पर भी ईसीजी की रिपोर्ट में पता नहीं चलता। डाक्टर सभरवाल के मुताबिक़ लगभग तीस परसेंट मामलों में ईसीजी हार्ट अटैक को नहीं पकड़ पाती। ऐसे में कुछ अन्य टेस्ट ज़रूरी होते हैं। डाक्टर सभरवाल के मुताबिक़ कुछ मरीज़ों में पेट मेन गैस बनने से भी छाती में होने वाले दर्द के लक्षण ‘एमआई’ (मायोकार्डीएल एनफ़ार्कशन) यानी जैसे होते हैं।
इस मरीज़ की गामा कैमरा जाँच के बाद पता चला कि दिल में बीमारी तो थी लेकिन स्टेंटिंग से बचा जा सकता था और सर्जरी की बजाय उसका ‘मेडिकल मैनेजमेंट’ किया जा सकता था।
डाक्टर सभरवाल के मुताबिक़ स्ट्रेस थैलेमिन तकनीक ने ‘कनफ़्यूजिंग डायग्नोसिस’ को क्लीयर करना आसान बना दिया है। यह मरीज़ों के लिए भी बहुत फ़ायदेमंद है जिससे वे भी ग़ैर ज़रूरी स्टेंटिंग या हार्ट सर्जरी से बच सकते हैं. ग्रेशियन अस्पताल शहर के उन अस्पतालों में से एक है जहाँ स्ट्रेस थैलेमिन (गामा कैमरा) तकनीक उपलब्ध है।
क्या है स्ट्रेस थैलेमिन (गामा कैमरा) तकनीक
स्ट्रेस थैलेमिन एक ऐसी तकनीक है जिसमें हार्ट अटैक होने पर बढ़ने वाले एंज़ाइम को क्लिनिकल तौर पर बढ़ाया जाता है और हार्ट अटैक के लक्षणों को गामा कैमरा की मदद से जाँच लिया जाता है। डाक्टर सभरवाल के मुताबिक़ हार्ट अटैक होने के छह घंटे में तीन एंज़ाइम मायोग्लोबिन, मास सीकेएमबी और ट्रोपोनिन-आइ बढ़ने लगते हैं, लेकिन इनकी मात्रा इतनी कम होती है कि साधारण क्लिनिकल लैबोरेटरी में इनकी जाँच नहीं हो सकती। इसलिए खून में एंज़ाइम की मात्रा बढ़ाकर गामा कैमरा से माइक्रो इमेजिंग की जाती है। यह तकनीक दस दिन पहले हुए मामूली से हार्ट अटैक को भी कंफ़र्म कर सकती है। इसलिए अगर किसी को आशंका हो कि उसे हार्ट अटैक आया था या नहीं, इस तकनीक से पता लगाया जा सकता है।
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